सुदामा व भगवान की मित्रता निःस्वार्थ : स्वामी शतानंद

आगरा : ’स्व दामा यस्य सः सुदामा’ अर्थात अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है। सुदामा की मित्रता भगवान के साथ निःस्वार्थ थी उन्होने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गये चावलों में भगवान श्री कृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सब कुछ प्रदान कर दिया। कमला नगर में चल रही श्रीमंद भागवत कथा मे सातवे दिन स्वामी शतानंद महाराज ने कथा में सुदामा-चरित्र, शुकदेव विदाई एवं परीक्षित मोक्ष का मार्मिक संजीव वर्णन श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किया। भागवत कथा के सातवें दिन कथा मे सुदामा चरित्र का वाचन मे मौजूद श्रद्धालुओं के आखों से अश्रु बहने लगे। कथा के अंत में शुकदेव विदाई का आयोजन किया गया। कथा के मुख्य यजमान मोतीलाल गर्ग एवं विमलेश अग्रवाल रही। शैलेश अग्रवाल, नीरज जयसवाल, केशव अग्रवाल, सीमा अग्रवाल, रजनी अग्रवाल, आरती अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण गुप्ता, प्रदीप गुप्ता, सुभाष चंद गुप्ता, केपी सिंह यादव, राजेश जैसवाल, संतोष मित्तल, आरसी अग्रवाल, आदित्य राज शर्मा आदि भक्तगण मौजूद रहे।