होम आइसोलेशन के दौरान मरीज विभाग को दें सही जानकारी : डॉ0 अजीत

आगरा : कोविड-19 संक्रमण को दुनियां में आए हुए दस महीने से ज्यादा हो गये हैं। अब इसके बारे में डॉक्टर्स और विशेषज्ञों के पास काफी जानकारी हो गई है। लेकिन लोगों के मन में कोविड-19 को लेकर सामाजिक भय अभी भी है। वे इस भय के कारण सही समय पर जांच कराने या हॉस्पिटल जाने से डर रहे हैं। होम आइसोलेशन में रहने के दौरान भी वे हॉस्पिटल नहीं जाना चाहते हैं। लेकिन होम आइसोलेशन में रह रहे पेशेंट्स को समझना होगा कि कोरोनावायरस का संक्रमण बहुत तेज है और इसमें तेजी से तबियत बिगड़ती है। इस कारण डॉक्टर से कुछ भी छुपाना उनकी सेहत के लिये घातक साबित हो सकता है। सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अजीत सिंह चाहर बताते हैं कि होम आइसोलेशन की सुविधा रैपिड रिस्पॉन्स टीम के द्वारा मरीज की सेहत की जांच करने के बाद ही दी जाती है। यदि उन्हें लगता है कि मरीज को अस्पताल में ही भर्ती कराना चाहिए तो वे उसे होम आइसोलेशन की अनुमति नहीं देते हैं। उन्होंने बताया कि मरीज को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन जरूर करना चाहिए। क्योंकि कोविड-19 के संक्रमण से तबियत तेजी से बिगड़ती है। उन्होंने बताया कि यदि ऑक्सीजन सेचुरेशन 94 से कम होने पर तुरंत मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहिए। अन्यथा ये घातक साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि सांस लेने में तकलीफ होने, उठने या बैठते वक्त सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत ही स्वास्थ्य विभाग को फोनकर बताने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इस वक्त लगभग 100 में से दो मरीज होम आइसोलेशन से तबियत खराब होने पर कोविड अस्पताल में भर्ती किये जा रहे हैं।