मुखारविंद मंदिर के घोटाले का दायरा ज्यादा होने की आशंका
रिसीवर सिस्टम वाले अन्य मंदिरों की जांच की मांग भी तेज

मिशन इंडिया न्यूज़ संवाददाता- तोरन सिंह
मथुरा: गोवर्धन के मंदिर मुखारविंद के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी समेत 12 लोग नामजद होने के बाद उन मंदिरों में हड़कंप की स्थिति है, जहां रिसीवर सिस्टम लागू है। अब लोगों को यह पता चला है कि रिसीवर की कितनी मोटी कमाई होती है? किस तरह भक्तों के दान का पैसा हड़पा जाता है। इससे पूर्व दानघाटी मंदिर के धन को ब्याज पर उठाकर बहुत मोटी कमाई का मामला सामने आ चुका है। यह दूसरे मंदिर का मामला रिसीवर रमाकांत गोस्वामी के खिलाफ सामने आया है। रिसीवर रमाकांत गोस्वामी और उनके साथियों के दुस्साहस का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एनजीटी के निर्देश और शासनादेशों से की जा रही एसआईटी जांच के दौरान भी यथासंभव मंदिर का पैसा लूटा जाता रहा। कोरोना जैसी महामारी के बीच जब समूचा देश ‘लॉकडाउन’ चल रहा था तब भी मुकुट मुखारबिंद मंदिर में बने बनाए फर्श उखड़वा कर उनके स्थान पर नए फर्श बनवाए जा रहे थे। संभवत: इसीलिए मुकुट मुखारबिंद मंदिर के घोटाले को इस स्टेज तक ले जाने वाले सभी शिकायतकर्त% 4 एसआईटी की एफआईआर में न तो मात्र 12 लोगों के नाम शामिल किए जाने से से संतुष्ट हैं और न घोटाले की रकम से।
शिकायतकर्ताओं की बात पर भरोसा करें तो यह पूरा घपला करीब सौ करोड़ रुपए का है। इसमें शामिल लोगों की संख्या भी एक दर्जन न होकर लगभग पांच दर्जन है। अब यह मांग भी जोर पकड़ रही है कि बलदेव, वृंदावन, नंदगांव आदि के तमाम मंदिरों में जहां-जहां रिसीवर बैठे हैं, वहां पिछले 10 वर्ष की जांच होनी चाहिए। यदि अगर जांच हो जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।