
महाना अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब ‘चाणक्य नीति’ में जीवन में क्या करें और ना करें को लेकर कई ऐसी नीतियों को वर्णन किया है. साथ ही उन्होंने चाणक्य नीति में लोगों की पहचान करने को लेकर भी कई सारी बातें बताई हैं. उन्होने अपने नीति शास्त्र ग्रंथ में एक श्लोक के माध्यम से ऐसे व्यक्तियों के बारे में बताया जो कभी धोखा नहीं दे सकता है.
महाना अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब ‘चाणक्य नीति’ में जीवन में क्या करें और ना करें को लेकर कई ऐसी नीतियों को वर्णन किया है. साथ ही उन्होंने चाणक्य नीति में लोगों की पहचान करने को लेकर भी कई सारी बातें बताई हैं. उन्होने अपने नीति शास्त्र ग्रंथ में एक श्लोक के माध्यम से ऐसे व्यक्तियों के बारे में बताया जो कभी धोखा नहीं दे सकता है. चाणक्य कहते हैं-
नि:स्पृहो नाधिकारी स्यान्नाकामो मण्डनप्रिय:।
नाऽविदग्ध: प्रियं ब्रूयात् स्पष्टवक्ता न वञ्चक:।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बिना फल की चाह रखते हुए जो व्यक्ति किसी की मदद करता है वो कभी धोखा नहीं दे सकता है. चाणक्य कहते हैं कि जिसे कुछ पाने की लालसा नहीं होती वो निस्वार्थ भावना के साथ काम करता है. इसलिए ऐसा व्यक्ति किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है.
चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति चौकाचौंध से प्रभावित न हो और आभूषण जैसे शरीर की शोभा बढ़ाने वाली वस्तुओं का त्याग करता है उस पर आप आंख बंद कर भरोसा कर सकते हैं, वो कभी आपको धोखा नहीं दे सकता है.
वहीं, आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कभी मूर्ख व्यक्ति धोखा नहीं दे सकता, क्योंकि उनके द्वारा किया जाने वाला काम किसी भी स्वार्थ से परे होता है, क्योंकि मूर्ख व्यक्ति खुद के भले के बारे में भी नहीं सोच पाता, तो ऐसे में वो किसी और को धोखा नहीं दे सकता है.
श्लोक के आखिर में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्पष्ट बात करने वाला व्यक्ति कभी धोखा नहीं देता, क्योंकि उसे सभी बातों को साफ-साफ कहने की आदत होती है. चाणक्य कहते हैं कि स्पष्ट बोलने वाला व्यक्ति अपनी बात रखने से पहले ये नहीं सोचत कि दूसरे लोग उस पर क्या कहेंगे, इसलिए ऐसे व्यक्ति पर भी पूरी तरह से भरोसा किया जा सकता है, क्योंकि ऐसे लोगों के मन में किसी प्रकार का छल नहीं होता.